शनिवार, 17 जुलाई 2010

शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

हाय! ये कैसी ज़िन्दगी !

हाय ! ये कैसी ज़िन्दगी

*ज़िन्दगी के *हर मोड़ पर सपने आये छोड़ कर ,
वे सपने जो रुलाते थे , हँसाते थे कभी सच तो कभी झूठ दिखाते थे

कभी जिंदगी के किनारे मिले तो कभी कब्र के किनारे मिले
अब जिंदगी लगे उठती गिरती सी लहर , न जाने ये लादे है कैसा कहर

लोगो को सुनता था सुनाता , समझता था समझाता था ,
पर खुद को न समझता हूँ न समझ पता हूँ

न हँसता हूँ न रो पता हूँ ,
न जगता हूँ न सो पता हूँ

न मिलन है न जुदाई है ,
न जाने ये कैसी घड़ी आई है

न पास हूँ न दूर हूँ,
न जाने मैं हूँ कहाँ

न धूप है न छाया है
न जाने ये कैसी घटा की माया है

काश ये कोई अभिनय होता
लेकिन न ये कोई अभिनय है न नाटकबाजी

अब ज़िन्दगी से ऐसी ही कर ली मैंने सौदेबाजी
हाय ये ज़िन्दगी , लगे अब बहता पानी

शायद यही है ज़िन्दगी का कहर
लादे हुए इसे चला इस डगर तो कभी उस डगर

ए खुदा ! माना की कर दी मैंने कोई खता
पर न दे तू मुझे इतनी बड़ी सजा
अब तो ज़िन्दगी से कर दे जुदा . * ***

शुक्रवार, 18 जून 2010

दिमाग़ी बुख़ार पर आरोप प्रत्यारोप

केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच रस्साकशी के चलते पूर्वांचल के सात ज़िलों में प्रस्तावित विशेष दिमाग़ी बुख़ार (जेई) टीकाकरण अभियान अनिश्चितकाल के लिए टल गया है.
इससे आने वाले बरसात के मौसम में दिमाग़ी बुख़ार की बीमारी का ख़तरा बढ़ गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार ने जो 16 लाख टीके भिजवाए हैं वो ख़राब होने के कारण इस्तेमाल के लायक़ नहीं हैं.
जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने समय से टीकाकरण प्रारंभ नहीं किया इसलिए टीकों की मियाद ख़त्म होकर बेकार हो जाएगी.
राज्य के संक्रामक रोग निदेशक डॉक्टर एसपी राम का कहना है, "जो 16 लाख टीके आए थे, उनमें से कुछ का वैक्सीन वायल मॉनिटर ख़राब हो चुका था. जो ग़ैर इस्तेमाल वैक्सीन थीं उनका तो इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था. इस्तेमाल और ग़ैर इस्तेमाल लायक़ वैक्सीन का इतना विवाद हो गया था कि जनता में उसके प्रति अविश्वास हो गया था. इसलिए अभियान स्थगित किया गया."
उत्तर प्रदेश में पिछले दो दशक में दिमाग़ी बुख़ार से 15 हज़ार से ज़्यादा बच्चों की मृत्यु हुई है और इससे कई गुना बच्चे मानसिक अथवा शारीरिक रूप से विकलांग हो गए हैं. पिछले पांच सालों में ही लगभग चार हज़ार बच्चों की मृत्यु हुई है. इस साल अब तक सत्तर से ज़्यादा बच्चे मर चुके हैं.
सन 2005 में दिमाग़ी बुख़ार एक महामारी के रूप में फैला था. तब जनमत के दबाव में केंद्र सरकार ने तय किया था कि चूँकि देश में जापानी तकनीक से चूहों के मस्तिष्क से बनाने वाले टीके का पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पा रहा है और उसकी तीन ख़ुराक देनी पड़ती है, इसलिए चीन से टिशू कल्चर से निर्मित वैक्सीन मंगाई जाए, जिसकी केवल एक ख़ुराक पर्याप्त है.
टीकाकरण

सन 2006 में चीन से यह वैक्सीन मंगाकर 34 प्रभावित ज़िलों में बड़े पैमाने पर टीकाकरण कराया गया. इसके बाद राज्य सरकार ने इसे बच्चों के नियमित टीकाकरण में शामिल कर लिया.
पर इसके बावजूद बीमारी ख़त्म नहीं हुई. तब यूनिसेफ़ ने जांच पड़ताल के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि केवल 50 फ़ीसदी बच्चों को ही टीका लगा है.
इसलिए फ़रवरी में केंद्र सरकार की एक टीम ने गोरखपुर और आसपास के सात ज़िलों में फिर से विशेष टीकाकरण की सिफ़ारिश की. राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए 74 लाख टीकों की मांग की. राज्य सरकार ने 31 मई से विशेष टीकाकरण अभियान चलाने का फ़ैसला किया.
अब केंद्र सरकार से नई वैक्सीन आने के बाद ही टीकाकरण शुरू होगा. लेकिन चीन से नई वैक्सीन की खेप अभी जल्दी नही आने वाली.
डॉक्टर एसपी राम, संक्रामक रोग निदेशक
लेकिन चीन से टीकों के आयात में विलंब को देखते हुए केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, गोवा, तमिलनाडु एवं अन्य राज्यों में उपलब्ध पिछले साल के स्टॉक से टीके भेजने का बंदोबस्त किया.
राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि उनके मना करने के बावजूद केंद्र सरकार ने दूसरे राज्यों से जो 16 लाख टीके भेजे, उनमें से आधे से ज़्यादा इस्तेमाल लायक नहीं.
कहा जा रहा है कि राज्य में कोल्ड चेन की समुचित व्यवस्था न होने से भी टीकों के ऊपर लगे वैक्सीन वायल मॉनिटर का रंग बदलने लगा.
राज्य की शिकायत पर केन्द्र सरकार ने एक विशेषज्ञ टीम भेजी. इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुछ को छोड़ ज़्यादातर वैक्सीन अभी ठीक हैं और अधिकारी मौक़े पर परिक्षण कर इनका इस्तेमाल कर सकते हैं.
आरोप-प्रत्यारोप

केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यही वैक्सीन हरियाणा में इस्तेमाल हो रही है. उत्तर प्रदेश सरकार भी अगले महीने तक इनका इस्तेमाल कर सकती है.
लेकिन राज्य सरकार के अधिकारियों ने केंद्र सरकार पर ख़राब टीके भेजने का आरोप लागते हुए 31 मई से प्रस्तावित टीकाकरण 14 जून से शुरू करने को कहा. फिर 14 जून से भी टीकाकरण स्थगित कर दिया गया है.
संक्रामक रोग निदेशक डॉक्टर एसपी राम का कहना है कि अब केंद्र सरकार से नई वैक्सीन आने के बाद ही टीकाकरण शुरू होगा. लेकिन चीन से नई वैक्सीन की खेप अभी जल्दी नही आने वाली.
जानकार लोगों का कहना है बरसात शुरू होते ही जापानी इंसेफ्लाइटिस का प्रकोप बढ़ जाएगा और देर से टीकाकरण होने से उनका बचाव नहीं हो पाएगा.
राज्य के अधिकारी सारा दोष केंद्र पर मढ रहे हैं, जबकि केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राजनीतिक कारणों से टीकाकरण टाल दिया है.
यह भी कहा जा रहा है कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार को केंद्र पर भरोसा नहीं तो वह अपने लिए सीधे चीन से वैक्सीन का आयात क्यों नही कर लेती.
साभार:बीबीसी

मंगलवार, 15 जून 2010

dosto! aj mujhe kafi khushi ho rahi hai aur ho bhi kyun nhi do sal pahle jo mai karna chahta tha mai kar paa raha hun yah mera pahla blog hoga.pita ji ne mujhe apne bachayi hue rakam se kharid kar laptop diya .har bar ki tarah unhone meri yah jarurat bhi poori ki .iske liye mai sabse pahle mai apne mata pita ji dono ko bhut dhanyavad karna chahunga aur unse aashirvad chahunga ki mai jeevan k har mod par sachchai k sath chal saku aur ak achcha ban saku.

sath me mai ap sabhi bloggers ko bhi dhanyawad kahna chahunga jinke blog padhakar mujhme bloggong karne ka utsah jaga.